Thursday 5 November 2020

In a time of sadness.........

                         SADNESS
How sad am I? So much that there is no  desire to write, nor to tell anyone. I also feel like crying, but can't cry. I do not feel like doing anything, but I feel like doing a lot.He is not willing to tell anything to anyone, does not feel like going in front of anyone, but wants to open his heart in front of someone, wants to hold someone and cry. But the funny thing is that no one
Whom you can hold and cry.
There is no heart to tell anyone and who in the world has meant so much to anyone who asks someone about themselves, who understands themselves.
                                         ... to be continued
                                            @अनकही_बातें circle_of_life
                                              

Wednesday 4 November 2020

आदतें ....

चलो आज एक बात बताती हूं मै अपनी। आजतक किसी से बोल नहीं पाई या सायद जरूरत ही न पड़ी!
सबकी जिन्दगी में ऐसा होता है कई लोग आते है कुछ रुकते हैं तो कुछ चले जाते है। कुछ मीठी सी यादें देकर जाते हैं तो कुछ दर्द का सैलाब।
मेरी भी कुछ ऐसी ही कहानी है!
तो मेरी ज़िन्दगी का ये हिस्सा सुरु हुआ एक प्रॉपर तरीके से जब मै senior secondary की छात्रा थी और अब जब जॉब कर रही। क्योंकी उस वक्त से ही मेरी दोस्ती का सिलसिला शुरू हुआ जो अब थोड़ा थम गया हैं।
जब नए दोस्त बनने शुरू हुए तो, ज़िन्दगी का नया पहलू भी सामने आया।
ये ज़िन्दगी का वो दौर था जब न जाने कितने दोस्त बने और कितने बिछड़े।
ज़िन्दगी में आम बात है शायद,
ऐसा सबके साथ होता है। लोग जो बहुत करीबी मित्र होते है वो दुस्मन भी बन जाते हैं,इसमें कोनसी बड़ी बात है?
लोग मतलब के लिए दोस्ती करते है इसमें कौन सी बड़ी बात है?
काम निकालने के बाद भूल जाते हैं इसमें कौनसी बड़ी बात है, और फिर जब काम हो बेशर्मो की तरह आ जाते है इसमें भी कौनसी बड़ी बात है?
ऐसे दोस्तो से क्या होता हैं, हां, थोड़ा दुख होता है ज्यादा करीबी हुए तो बहुत दुख होता है। इंसान कुछ दिन रोता है बुराई करता है भूल जाता है।
मगर जब बात मेरे पे आती हैं तो ऐसा ही नहीं पाता!
सामने वाले ने मेरे साथ कितना गलत किया, मगर जब पहले मेरे मुंह से उसके लिए कोई अच्छा शब्द निकल गया है या थोड़ा सा भी वो ही सिर्फ क्यों न मुझे फ्रैंड बोल दिया हो! मै उसकी बुराई नहीं कर पाती।
सच कितना चाहती हूं कुछ लोगो का असली चेहरा सामने लाना किसी के, मगर जब उस बन्दे या बन्दी को खुश देखती हूं तो छोड़ देती हूं। 
मगर सचमे वो दिलसे नहीं होता क्योंकि अंदर मै ये डर रहता है कि फिर कोई शिकार बनेगा! 
मगर फिर लगता है क्या पता वो सुधर जाए।
मगर ऐसा कभी नहीं होता।
और इस वजह से कई बार तो मै जानती हूं कि सामने वाला कितना उल्लू बना रहा मेरा या किसी का मगर वो अच्छा बना फिरता है मेरे सामने। और मुझे प्रेटेंड करना पड़ता हैं जैसे कुछ जानती ही नहीं।
 सब दोस्त हैं क्योंकि लड़ाई ही भी हो पाती!
 मगर क्या ये सही है?
ऐसे दोस्त के साथ रहना को असल में दोस्त हैं ही नहीं?
और नहीं तो जोखिम भी उठाना उनके लिए? 
वो जो कभी भी तुम्हारी पीठ पर घात कर सकते है,उनकी एकबार बुराई तक न करना, क्या सही है ये?
क्या ये सही है कि दूसरों की वजह से खुद घुटन भरी जिंदगी जीना? नहीं न? मगर इसमें दूसरों की भी क्या गलती हैं, वो मना थोड़े करने है बोलने से ?  लडूंगी तो वे भी लड़ेंगे!
 बुराई करूंगी तो चले भी जाएंगे!
 मगर मेरे से तो ये होता है नहीं! जब एक दो बार कोशिश भी किया तो खुद ही guilty वाली फीलिंग्स आने लगती है। करू भी तो क्या करू कुछ समझ नहीं आता???????????

@अनकही_बातें

it's simple I love you

Yes i am cheesy but when it comes to you Yes i am selfish because I want you to be only mine. Yes i am possesive when it comes to you. Yes I...