Saturday, 17 April 2021

मेरा गांव! बदला हुआ, पर अपना सा।

वर्षों बाद जब आना हुआ.. शहर की हलचल से गांव की सरजमीं पर.. रास्ते बदले बदले से .. पता पूछने लगे।
ओ मिट्टी वाली सड़के अब कंक्रीट बन चुके थे,
पेड़ों से घिरे वो ठंडे शान्त रास्ते अब.अब घर की चहारदीवारी से घिरे नज़र आ रहे थे।
वो बागवानी जहा हम बचपन में टिकोरे बिनने जाया करते थे, वो फील्ड जहा हम खेलने और साइकिल सिखा करते थे,अब नज़र नहीं आया। 

घरों की गहनता शहरों को कुछ वर्षों में टक्कर देने को तैयार बैठी थी।
वो पहला स्कूल जहा हम टोले के सारे बच्चे झुंड में पढ़ने जाया करते थे..रास्ते में दिख गया.. विरान सा बन्द पडा।

घर का दुआर जहां शाम होते बच्चो के खेलने की कोलाहल गूंजा करती थी..मौन पड़ा, मायूस सा नजर आ रहा था।
 जाना हुआ एक दिन स्कूल में भी अपने एक्साइटमेंट हाई था यादें ताजा थी...चार वर्षो की अपनी वो यात्रा कोई भुले से भी कैसे? जाकर वहां एक भी जब जाना चेहरा न नजर आया ..तो वो अपना यादों से भरा स्कूल भी अनजाना सा समझ आया।

इतने बदले–बदले माहौल में.. वर्षों जहां बीते, अपना होकर भी वो जगह जाने क्यों? पराया सा नजर आया।
मगर जब बीते कुछ दिन तो वो भेंट मुलाकात जब अपने बचपन के दोस्तों से हुई तो सारा बदलाव कही बहुत छोटा नजर आया। हम वैसे ही वहीं जहा बिछड़े थे मिले।
उनकी बातो लहजो और तरीको में न कोई बदलाव आया था, वो भी सहेजे बैठे थे उन यादों को दिल में जो ई कभी चाह कर भी न मिल पाएगी ..बचपन के जाने कितने खेल,जाने कितनी बाते ,जाने कितनी यादें।

मगर सबके साथ मन में एक ख्याल बदलाव के साथ ये यादें समेटे जगहें, क्या अगली मुलाकात तक रहेंगी? 

it's simple I love you

Yes i am cheesy but when it comes to you Yes i am selfish because I want you to be only mine. Yes i am possesive when it comes to you. Yes I...